आज़ादी! हमारे हौसलो की पतंग में लगी उस डोर की भांति है जो हमें संभावनाओं के उन्मुक्त गगन में और ऊँचा उठने को प्रेरित करती है और साथ-साथ हमें थामे भी रखती है ताकि हम उपने कर्तव्यपथ से विमुख न हो सके।
सुबह की पहली किरण जब ख्वाबो को झंकृत कर तन मन को आंदोलित कर देती है और दि
ल हजारो ख़्वाहिशों को पूरा करने के लिए खुद को स्वतंत्र पाती आज़ादी वो अहसास हैं।
वो आज़ादी हीं तो है जो हमें हँसने में,
रोने में, खोने में, पाने में, पंछियों के चहचहाने में, नींदों को खुलने पर, दिलो को धड़कने पर, अपनों का साथ होने पर, दुःख में सुख में सफलता पर इतराने में, असफलता पर दृढ निश्चय कर फिर से उठ जाने में और ज़िन्दा होने में हमे संप्रभुता की अहसास कराती है।
आज़ादी वो खूबसूरत अहसास है जो हमें इस अतुल्य भारत को और सुशोभित करने की शक्ति और अदम्य साहस देती है । ये आज़ादी ही तो है जो भाँति-भाँति की असंख्य जनसमूह को एक माला में पिरोये रखती है। ये आजादी ही तो है जो हमें आज अपनी सोच को अपनी मातृभाषा में सब तक पहुचाने की छूट देती है। आज़ादी है तो हम है और हम भारत माँ की ही भाँति अतुल्य है।
Posted from WordPress for Android By Shashi Kumar (Aansoo)
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on: August 15, 2015 at 12:55AM
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