26 January 2016

All About Param Vir Chakra (PVC) प रमवीर चक्र

विवरण

परमवीर चक्र का पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है।

शुरुआत

26 जनवरी 1950

स्वरूप

परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ‘सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई’ ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

विजेता/सम्मानित

अब तक 21 भारतीय सैनिकों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।

“Param Vir Chakra (PVC) is the highest gallantry award for officers and other enlisted personnel of all military branches of India for the highest degree of valour in the presence of the enemy. Introduced on 26thJanuary 1950, this award may be given posthumously.

Literally, Param Vir Chakra means ‘Wheel (or Cross) of the Ultimate Brave’. In Sanskrit, ‘Param means Ultimate, ‘Vir (Pronounced veer) means Brave and ‘Chakra means Wheel.”

अन्य जानकारी

‘परमवीर चक्र’ को अमेरिका के ‘सम्मान पदक’ तथा ‘यूनाइटेड किंगडम’ के ‘विक्टोरिया क्रॉस’ के बराबर का दर्जा हासिल है।

परमवीर चक्र या ‘पीवीसी’ सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। 26 जनवरी1950 से शुरू किया गया यह पदक मरणोपरांत भी दिया जाता है।

पदक का प्रावधान

स्वतंत्र भारत में पराक्रमी वीरों को युद्ध भूमि में दिखाये गये शौर्य के लिए अनेक प्रतीक सम्मान पुरस्कारों का चलन शुरू हुआ। 15 अगस्त 1947 से वर्ष 1950 तक भारत अपना संविधान रचने में व्यस्त रहा। 26 जनवरी 1950 को जो विधान लागू हुआ, उसे 1947 से प्रभावी माना गया। वह इसलिए जिससे 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध के वीरों को, जिन्होंने जम्मू- कश्मीर के मोर्चों पर अपना शौर्य दिखाया, उन्हें भी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा सके। इस क्रम में युद्धभूमि में सैनिकों द्वारा दिखाए गये पराक्रम के लिए 1950 में तीन पुरस्कारों का प्रावधान किया गया, जो श्रेष्ठता के क्रम से इस प्रकार हैं-

परमवीर चक्र महावीर चक्रवीर चक्रवर्ष 1952 में अशोक चक्र का प्रावधान किया गया।

शाब्दिक अर्थ

‘परमवीर चक्र’ का शाब्दिक अर्थ है “वीरता का चक्र”।संस्कृति के शब्द “परम”, “वीर” एवं “चक्र” से मिलकर यह शब्द बना है।

रिबैंड बार

यदि कोई परमवीर चक्र विजेता दोबारा शौर्य का परिचय देता है और उसे परमवीर चक्र के लिए चुना जाता है तो इस स्थिति में उसका पहला चक्र निरस्त करके उसे रिबैंड (Riband) दिया जाता है। इसके बाद हर बहादुरी पर उसके ‘रिबैंड बार’ की संख्या बढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को मरणोपरांत भी किया जाता है। प्रत्येक रिबैंड बार परइंद्र के वज्र की प्रतिकृति बनी होती है, तथा इसे रिबैंड के साथ ही लगाया जाता है।

समकक्ष सम्मान

‘परमवीर चक्र’ को अमेरिका के ‘सम्मान पदक’ तथा ‘यूनाइटेड किंगडम’ के ‘विक्टोरिया क्रॉस’ के बराबर का दर्जा हासिल है।

महत्त्व

परमवीर चक्र वीरता की श्रेष्ठतम श्रेणी में, युद्ध भूमि में प्रदर्शित पराक्रम के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार वीर सैनिक को स्वयं या मरणोपरांत दिये जाने की स्थिति में, उसके प्रतिनिधि को सम्मानपूर्वक दिया जाता है। इस पुरस्कार को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति विशिष्ट समारोह में अपने हाथों से प्रदान करते हैं। यह पुरस्कार तीनों सेनाओं के वीरों को समान रूप से दिया जाता है। इस पुरस्कार में स्त्री पुरुष का भेदभाव भी मान्य नहीं है। इस पुरस्कार की विशिष्टता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 1947 से लेकर आजतक यह पुरस्कार, चार बड़े युद्ध लड़े जाने के बाद भी केवल 21 सैनिकों को ही दिया गया है, जिनमें से 14 सैनिकों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है।

परमवीर चक्र का स्वरूप

भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक (सन् 2012 तक) 21 श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां भारतीय संस्कृति एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। भारतीय सेना की ओर से ‘मेजर जनरल हीरालाल अटल’ ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी ‘सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई’ को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं।स्विट्जरलैंड में 20 जुलाई 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम ‘ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस’ था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था।मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्यसंस्कृत और वेदांत के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ‘इयान कारडोजो’ की हालिया प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। पदक की संरचना के लिए उन्होंने महर्षि दधीचिसे प्रेरणा ली जिन्होंने देवताओं का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे ‘इंद्र के वज्र’ का निर्माण हुआ था।

परमवीर चक्र विजेताओं के नाम

· लांस नायक अल्बर्ट एक्का 
· कैप्टन विक्रम बत्रा 
· कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद 
· नायब सूबेदार बाना सिंह 
· सूबेदार जोगिन्दर सिंह 
· कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया 
· मेजर सोमनाथ शर्मा 
· मेजर होशियार सिंह 
· लेफ्टिनेंट कर्नल ए. बी. तारापोरे 
·राइफलमैन संजय कुमार 
· कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह 
· कैप्टन मनोज कुमार पांडेय 
· मेजर धन सिंह थापा 
· ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव 
· फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों 
· लांस नायक करम सिंह 
· नायक जदुनाथ सिंह 
· मेजर शैतान सिंह 
· सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल 
· मेजर रामास्वामी परमेस्वरन 
· सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राने

Param Vir Chakra winners so far:

1. IC– 521 Major Som Nath Sharma, 4 Kumaon Regiment, November 3, 1947, Badgam Kashmir (posthumous)

2. IC-22356 Lance Naik Karham Singh M M, 1 Sikh Regiment, October 13, 1948, Tithwal Kashmir

3. SS-14246 Second Lt Rama Raghobe Rane, Corps of Engineers, April 8, 1948, Naushera, Kashmir

4. 27373 Naik Jadu Nath Singh, 1 Rajput Regiment, February 1948, Naushera, Kashmir (posthumous)

5. 2831592 Company Havildar Major Piru Singh, 6 Rajputana Rifles, July 17/18, 1948, Tithwal, Kashmir (posthumous)

6. IC-8497 Captain Gurbachan Singh Salaria, 3/1 Gurkha Rifles, December 5, 1961, Elizabethville, Katanga, Congo (posthumous)

7. IC-7990 Major Dhan Singh Thapa, 1/8 Gurkha Rifles, October 20, 1962, Ladakh, India

8. JC-4547 Subedar Joginder Singh, 1 Sikh Regiment, October 23, 1962, Tongpen La, Northeast Frontier Agency, India (posthumous)

9. Major Shaitan Singh, Kumaon Regiment, November 18, 1962, Rezang La (posthumous)

10. 2639885 Company Havildar Major Abdul Hamid, 4 Grenadiers, September 10, 1965, Chima, Khem Karan Sector (posthumous)

11. IC-5565 Lieutenant-Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore, 17 Poona Horse, October 15, 1965, Phillora, Sialkot Sector, Pakistan (posthumous)

12. 4239746 Lance Naik Albert Ekka, 14 Guards, December 3, 1971, Gangasagar (posthumous)

13. 10877 (P) Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon, Indian Air Force, December 14, 1971, Srinagar, Kashmir (posthumous)

14. IC-25067 2/Lieutenant Arun Khetarpal, 17 Poona Horse, December 16, 1971, Jarpal, Shakargarh Sector, (posthumous)

15. IC-14608 Major Hoshiar Singh, Grenadiers, December 17, 1971, Basantar River, Shakargarh Sector

16. Naib Subedar Bana Singh, 8 Jammu and Kashmir Light Infantry, June 23, 1987, Siachen Glacier, Jammu and Kashmir

17. Major Ramaswamy Parmeshwaran, 8 Mahar Regiment, November 25, 1987, Sri Lanka (posthumous)

18. IC-57556 Captain Vikram Batra, 13 Jammu and Kashmir Rifles, July 6, 1999
19. IC-56959 Lt Manoj Kumar Pandey, 1/11 Gorkha Rifles, July 3, 1999, Khaluber/Juber Top, Batalik sector, Kargil area, Jammu and Kashmir (posthumous)

20. No 2690572 Grenadier Yogendra Singh Yadav, 18 Grenadiers, July 4, 1999, Tiger Hill, Kargil area

21. Rifleman Sanjay Kumar, 13 Jammu and Kashmir Rifles, July 5, 1999 

By
Shashi kumar “Aansoo”


Filed under: Inspiring Shashi

from: http://bit.ly/1nNfBDm
on: January 26, 2016 at 10:19PM

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